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व्यक्तित्व   personality  का विकास कैसे करे?  महत्वपूर्ण  8  मूल मंत्र   भाग 1 st  ( personality development  8 important  tips )


व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है । वह जन्म से लेकर मृत्यु तक अपने आचरण , चरित्र , एवम कार्यो के द्वारा समाज मे जाना जाता है । व्यक्ति के जीवन मे उसके परिवार , आस पास के वातावरण , उसके कार्यस्थल , आदि का प्रभाव उसके जीवन मे निरन्तर होता रहता है । 

व्यक्ति समाज और परिवार से अनेको गुणों एवम अवगुणों का अपने जीवन मे समावेश करता रहता है 

और इसी संकलन से उसके कार्य करने की क्षमता , व्यवहार ,और चरित्र का निर्माण होता है ।  व्यक्ति के जीवन मे उसके चारित्रिक , मानसिक , एवम व्यवहारिक गुणों के संयोग से ही उसके व्यक्तित्व  personality का निर्माण होता है । 

व्यक्ति का अपने व्यक्तित्व का निर्माण करने का प्रमुख उद्देश्य अपने परिवार , समाज, व देश के प्रति कर्तव्यों का पालन करते हुए शांतिपूर्वक तरीके से अपने जीवन मे सुख व आनंद प्राप्त करते हुए जीवन जीने को माना गया है । 


जो लोग दूसरों को प्रभावित कर सकते हैं उन्हें व्यक्तित्व सम्पन्न  तथा  जो लोग दूसरों को प्रभावित नही कर  पाते हैं उनमें व्यक्तित्व का अभाव माना जाता है । 

मन , बचन , एवम कर्मो की एकरूपता ही मनुष्य के चरित्र का आधार है । मन की एकाग्रता ,  भावो तथा संकल्प के संकलन के विना कोई भी व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का निर्माण personality dovelopment  नही कर सकता है । 


व्यक्ति को अपने जीवन मे व्यक्तित्व के विकास के लिए कुछ विशेष कार्य एवम बदलाव करने आवश्यक है ।

1   अपनी आदतों में सुधार करना 


प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में कुछ न कुछ गलतियां करता रहता है । ये छोटी - छोटी गलतियां धीरे - धीरे  उसकी गहन आदत में बदल जाती हैं । 

और ये आदते उसके व्यवहार में दिखाई देने लगती है । अपनी गलत आदतों के स्वयं को विश्लेषण करना चाहिए ।

 तथा दृढ़ इच्छाशक्ति से उन गलत आदतों में सुधार करना चाहिए ।जैसे बैठे बैठे नाखून चबाना , अपने कान नाक में अंगुली चलाना तथा पैरो को हिलाना आदि । ये सामान्य दिखने वाली गलत आदते व्यक्तित्व  के विकास   personality dovelopment   में बाधाएं हैं ।


याद  रहे कि अच्छी आदते व्यक्ति को सफलता के शिखर पर पहुचाती हैं परंतु बुरी आदतें व्यक्ति को शिखर से नीचे उतारकर धूल में मिलाने की ताकत रखती हैं ।

 व्यक्ति में कुछ आदते जन्मजात होती हैं तथा कुछ आदते उसे अपने पारिवारिक और सामाजिक परिवेश से मिलती हैं ।  व्यक्ति अपनी आदतों का गुलाम होता है |


  समय रहते यदि अपनी आदतों में सुधार कर लिया जाए तो अच्छा है परन्तु देरी होने पर आदतों को बदलना बहुत मुश्किल हो जाता है । 

2   आलोचना  करने से बचे 


जो व्यक्ति सदैव दुसरो की आलोचना करता रहता है वह एक दिन स्वयं दूसरो की आलोचनाओ का शिकार हो जाता है । 

क्योंकि जब हम दूसरों की आलोचना करने में अपना समय व्यर्थ गवा रहे होते हैं यदि उसी समय में व्यक्ति दूसरो में से अच्छी आदतों को सीखने की कोशिश करता तो निश्चित ही उसके व्यक्तित्व में अच्छे आचरणों का समावेश हो जाता ।

 आलोचना करने वाले व्यक्ति कभी भी परिवार और समाज मे सम्मान प्राप्त नही कर सकते हैं ।यदि कोई व्यक्ति हमारी आलोचना करे तो हमे व्यथित नही होना चाहिए । बल्कि उस समय अपनी कमियों को ढूढ कर उनमे सुधार करने का प्रयत्न करना चाहिए ।


" निंदक नियरे राखिये , आंगन कुटी छवाय ।सार सार को गहि रखे , थोथा देय उड़ाय  ।।


सभी को संतुष्ट करना सम्भव नही है।कुछ लोग महत्व पाने के लिए आलोचना करते हैं  तो कुछ लोग इर्ष्याबश आलोचना करते हैं ।

 अतः कभी दूसरो द्वारा की गई आपकी आलोचना से कभी क्रोधित चिंतित नही होना चाहिए ।

 यह जान लो कि किसी भी नेक कार्य को जो अपने मन मे उचित लगे उसी प्रकार करो । आलोचनाएं तो होंगी ही चाहे तुम कुछ करो या न करो । 


3  क्रोध को त्याग दे 


व्यक्तित्व के विकास  personality dovelopment   के लिए  क्रोध का त्याग करना अतिआवश्यक है । क्रोध व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन है |

क्रोध सदैव व्यक्ति के अहंकार को दर्शाता है । क्रोध के कारण आपके द्वारा किये गए अनेको अच्छे कार्य बुरे परिणाम में बदल  जाते हैं । 

4  संयम   



 शांति सहानुभूति एवम दया से आप प्रत्येक व्यक्ति को अपने वश में कर सकते हैं चाहे वह कैसे भी स्वभाव का हो । 

5 डरना  मना है 


जब कोई  अनहोनी बात की संभावना आपके मस्तिष्क में प्रवेश करती है |तो उस वात का भविष्य व्यक्ति अपनी कल्पना में देखना शुरू कर देता है|


और फिर नकारात्मक विचारों का प्रवाह तेजी से बढ़ने लगता है जिससे व्यक्ति के आत्मविश्वास में कमी आने लगती है मनोवल की कमी से साहस कमजोर होकर भय  अर्थात डर में बदल जाता है |

 और डर मानसिक अवस्था के साथ ही शरीर पर भी हावी हो जाता है । जीवन मे सुख और सफलता के मार्ग में डर सबसे बड़ी बाधा है । डर की अत्यधिक अवस्था मनोविकार का रूप धारण कर लेती है ।

 साहस , आत्मबल , आत्मनियंत्रण  और सहनशक्ति सफलता के मुख्य कारण हैं लेकिन डर के कारण ये सब गुण नष्ट होने लगते हैं ।

इसलिए व्यक्तित्व के विकास    personality dovelopment   के लिए किसी भी प्रकार के डर को हावी ना होने दे । उसे सही तरीके से समझे और उसका सामना कर जीवन को भय मुक्त बनाये । 



6 मानसिक तनाब से बचे 

किसी भी स्थिति के कारण  अत्यधिक  चिंता करने से मांंनसिक तनाव जन्म ले लेेता है ।

 यदि अत्यधिक चिंता करने  के स्थान पर व्यक्ति परेशानियों के  कारण  और उनके सही निवारण के बारे में जाानकर उन्हें दूर करने का कार्य करना प्रारम्भ कर दे तो व्यक्ति का मानसिक स्तर बढ़ता है |

और वह आसानी से बिना मानसिक तनाब के अपनी परेशानियों को दुुर का सकता है । जीवन मे विश्वास सबसे  बड़ी अवधारणा है । जिसके सहारे सम्पूर्ण जीवन चलता है |

परंतु जब व्यक्ति वहम का शिकार हो जाता है ।तब वह अच्छाई और बुराई में विभेद नही कर पाता है । अतः अपने व्यक्तित्व    personality   के विकास हेतु मानसिक तनाव एवम वहम को त्याग दे ।

और प्रसन्न चित्त मन से अपने काम मे ध्यान रखना चाहिए । 


7  खुलकर हंसिये और मुस्कराइए 

व्यक्ति    personality   अपने मानस का प्रतिविम्ब है ।उसकी मानसिक दशा और सफलता में घनिष्ट सम्बन्ध है। व्यक्ति को अपनी मानसिक वृतियों को स्वस्थ रखना अतिआवश्यक है ।

 मुस्कराते हँसते हुए और प्रसन्न रहने पर ही आप व्यक्तित्व का विकास कर सकते हैं ।         "" मुस्कान एक ओषधि है "" 


हमेशा प्रसन्न रहने बाले लोग उदास रहने बाले लोगों की अपेक्षा अधिक सफल होते हैं ।
        Enjoy every moment of life 


खुशमिजाज लोग जीवन के प्रत्येक पल का आनंद लेते हैं ।


""श्रीमद भागवत गीता में कहा गया है कि चित्त के प्रसन्न रहने से सभी दुख नष्ट हो जाते हैं ।जिससे प्रसन्नता प्राप्त होती है और उनकी बुद्धि स्थिर हो जातीं है ।""


""इस संबन्ध में शेक्सपीयर ने कहा है कि आपको जो कुछ भी चाहिए आप उसे अपनी मुस्कराहट से प्राप्त कर सकते हैं तलवार से नही । ""


व्यक्तित्व के विकास    personality dovelopment   हेतु खुलकर जीये हँसते रहे और मुस्कराते रहे । 


8  अपने भाग्यविधाता स्वयं बने 



जीवन मे प्रत्येक कार्य को करने के लिए उस कार्य मे निपुणता हासिल करना आवश्यक है औरअपने कार्य को करने के लिए दूसरों पर कभी आश्रित ना हो।  

       ""  पराधीन सपनेहु  सुख नाही।  ""



 और स्वयं को आत्मनिर्भर वनाये । जीवन मे अवसर बार बार नहीं आते हैं हाथ मे अवसर को गवाना नही चाहिए । प्रत्येक अवसर को चुनोती मानकर स्वीकार करे ।और उस अवसर का सही सदुपयोग करे ।कार्य को सही समय पर करे ।

कार्य के प्रति लापरवाही ना करे ।किसी भी कार्य को करने के लिए तत्परता से आगे बढ़कर साहस और बुद्धिमानी के साथ कार्य करना चाहिए ।कार्य को बेहतर तरीके से विश्लेषण कर समझे और उसे मनोयोग से पूरा करने में लग जाये । 

यदि व्यक्ति अपने जीवन मे सही आदतों को अपनाकर आगे बढ़ता है तो कभी भी असफलता देखने को नही मिलती है ।

उसे अपने जीवन के सभी उद्देश्यों को आत्मसम्मान , साहस , धैर्य और प्रसन्नता के साथ सम्पन्न करेगा ।तो उसके सभी कार्यो में निरंतर सफलता प्राप्त होगी ।


उसके व्यक्तित्व    personality   में दिन प्रति दिन विकास होगा  , वह अपनी  personality dovelopment   कर सकेगा  और वह अपने जीवन के श्रेष्ठतम लक्ष्यों को प्राप्त कर सकेगा  |




शेष अगले भाग 2 में 
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