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विचार शक्ति ( power of thoughts )

विचार एक जीवित प्रवल शक्ति है।यह वर्तमान संसार मे सबसे  अधिक तेजस्वी सूक्ष्म एवम अप्रतिरोध्य शक्ति है । इस भौतिक संसार की तुलना में विचारो का जगत अधिक वास्तविक  है । 
विचारो में परिवर्तन के साथ मानस ततव में स्पंदन होता रहता है । ज्योही मनुष्य में विचार उठता है वह विचार एक नाम शब्द और रूप धारण करने लगता है  । 

विचार  सूक्ष्म पदार्थ है विचार जितने दृढ़ होते जाते हैं  वे उससे संमवन्धित सूक्ष्म जगत में स्पंदन क्रिया करते है । और सूक्ष्म जगत में वही घटित होने लगता है । 
तभी तो कहा गया है कि * मनुष्य जैसा विचार करता है स्वयं वैसा ही बन जाता है ।।

विचार ही  चरित्र का निर्माण करते  हैं समान विचार बाले मनुष्य परस्पर  आकर्षित होने लगते हैं  सद्विचार  जिस मनुष्य के मन मे उठता है उसके मनोमय कोष में सुधार करके पवित्र करता है ।एवम जिस व्यक्ति के सम्बंध में वह विचार होता है उसे लाभदायक होता है और अंत मे समस्त मानसिक वातावरण को सुधारकर मानव जाति को लाभ पहुचता  है । 

इसके  विपरीत  कुविचार आने से मनुष्य का मनोमय कोष छतिग्रस्त होने  लगता  है जो कि मनुष्य के हानिकारक होने लगता है  एवम समस्त मानव जाति को  हानि पहुचता है ।

विचार में अद्भुत शक्ति होती है  ध्यान के माध्यम से इसे जाना जा सकता है  
विचार ही सारे कर्मो का स्रोत  है विचार मनुष्य को कर्म की ओर ले जाता है यदि मनुष्य  प्रारम्भ से ही दूषित विचारो का उन्मूलन कर देता है तो कोई भी दुष्कर्म नही होता है  बल्कि सुविचारों के  माध्यम से सद्कर्म होने लगते  हैं ।

परमात्मा का नित्य ध्यान करने से मन मे सद्विचार प्रकट होते हैं क्योंकि परमात्मा नित्य शुद्ध हैं व्यक्ति को आत्मचिंतन से निरर्थक विचार कामुक विचार अनुचित विचार घ्रणा  द्वेष एवम स्वार्थ के विचारों  को त्यागकर  सदैव सद्कर्म  सकारात्मक की ओर अग्रसर होने चाहिए । 

परमात्मा से प्रात एवम रात्रि में प्रार्थना करे  कि 
हे परमात्मा  मैने  अपने कर्मो  को  एवम अपने कर्मफलों को आपको  समर्पित कर दिया  है आप मुझे शक्ति प्रदान करे कि मैं दूषित विचारो का त्याग करता रहू ओर सद्विचार को कर्म में परिणित कर सकू  

विचारो पर ओउम का जप प्रभाव  
ओउम का नित्य जाप करते रहे और मन को विचार शून्य अवस्था मे लाने का अभ्यास करें 
विचारो के संयम से मन एवम इन्द्रियों का निग्रह होता है  लगातार अभ्यास से आपके विचार एक शक्ति रूप में  संकलित होते रहते हैं जो आत्मबल का निर्माण करते हैं 

विचार शक्ति असीम होती है  जो चुंबक की भांति कार्य करती है विचार शक्ति जब दृढ़ विश्वास में परिणित हो जाती है तब मनुष्य की चेतना का स्तर बढ़ती है  चेतना के उच्चतर अवस्था मे मनुष्य अपनी चेतना स्पंदन को प्राप्त करने लगता है 

यही चेतना प्रार्थना में प्रकट होती है जो  ब्रम्हांड की चेतन्य स्तर में प्रविष्ठ होने लगती है जहाँ से प्राप्त ऊर्जा  मनुष्य को सद्कर्म में बदल देती  है 
जिससे मनुष्य सद्कर्मो को करता रहता है और ब्रम्हांडीय ऊर्जा का स्तर कर्मफलों  में बदल जाता है 
 यही ऊर्जा का स्पन्दन  एवम कर्म  उसके जीवन मे भौतिक आध्यात्मिक सुख और आनंद का स्रोत्र बन जाता है 

 विचार बदलो   जीवन  बदल  जायेगा 

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                    धन्यबाद       




Thought is a living coral power. It is the most brilliant subtle and irresistible power in the present world.  The world of thoughts is more real than in this physical world.

 With the change in thoughts, there is a flutter in the mind.  Thoughts arise in human beings, that thought takes a name, word and form.


 Thoughts are subtle substances, the stronger they become, the more they vibrate in the microcosm associated with it.  And the same thing happens in the microcosm.

 That's why it has been said that * Man becomes the way he thinks.


 Thoughts create character, people with similar thoughts start to be attracted to each other, Sadhichar purifies the man who rises in his mind by improving his manomaya kosha.  I benefit mankind by improving the overall mental environment.





 On the contrary, due to the idea of ​​man, the manumaya kosha of man begins to get impaired, which starts to be harmful to human and causes harm to all mankind.


 Thought has amazing power it can be known through meditation

 Thoughts are the source of all actions, thoughts lead humans to karma. If man eradicates contaminated thoughts right from the beginning, then no misdeeds happen, but good thoughts start happening.


 Meditating on the mind of God is manifested in the mind because God is pure in the mind. A person should be free from self-delusion, lustful thoughts, sensual thoughts, improper thoughts, hatred and renunciation of selfishness and should always move towards positive harmony.


 Pray to God in the morning and night

 O God, I have dedicated my deeds and my deeds to you, that you may give me strength that I may renounce corrupt thoughts and convert good thoughts into karma.


 Oum's chanting effect on thoughts




 Keep reciting Oum every day and practice to bring the mind to zero state

 The mind and senses are blessed with the restraint of thoughts, through constant practice, your thoughts are compiled into a power that builds self-power.


 The thought power is infinite, which acts like a magnet. When the power of thought becomes a result of conviction, then the level of human consciousness increases, in a higher state of consciousness, man starts to achieve his consciousness pulsing


 This consciousness manifests in prayer, which begins to enter the conscious level of the universe, from where the energy received transforms man into good work.

 Due to which man keeps on doing good deeds and the level of cosmic energy changes in the karmaphalas.

 This energy vibrations and deeds become the source of material spiritual happiness and joy in his life.





 Change thoughts life will 

                 change                                 

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