व्यापारिक संगठन या सामाजिक संस्था द्वारा अपने ग्राहकों को अपनी वर्तमान या भावी आवशयकताओ के अनुरूप उत्पादों या सेवाओ को तैयार कर अपने ग्राहकों तक पहुचाना ही प्रबंध कहलाता है यह एक क्रिया है और इसके उद्देश्य भी है यह अनेक क्रियाओ का समूह है इसलिए इसके उद्देश्य भी बहुत है |इसे इसके उद्देश्यों के आधार पर विभिन्न भाग में बाटा गया है
इसे मुख्य रूप से 4 भाग में बाटा गया है -
1. प्राथमिक उद्देश्य
2. सहायक उद्देश्य
3. व्यक्तिगत उद्देश्य
4. सामाजिक उद्देश्य

प्राथमिक उद्देश्य - यह प्रबंध का पहला उद्देश्य है इसमें विभन्न पक्षों की आकांक्षाओं को पूर्ण करना है तथा अपने उद्देश्य को पूर्ण करना है |इसका मुख्य उद्देश्य उचित लागत पर व निश्चित समय पर उत्पादों व सेवाओ का उत्पादन करना है व उत्पादों और सेवाओ को उचित मूल्य पर वितरित करना और अपने उपभोगताओ को संतुष्टि प्रदान करना है और कम लागत पर अधिक लाभार्जन करना है |
सहायक उद्देश्य - प्राथमिक उद्देश्यो की प्राप्ति में सहायक उद्देश्य की महत्वपूर्ण भूमिका है ये कार्यप्रणाली से सम्बंधित होते है इसमें कार्य की कुशलता व गुणवत्ता को बढ़ाना मुख्य उद्देश्य होता है तथा इसके साथ लाभ को भी अर्जित करना भी आवश्यक है व नये संसाधनों का विकास भी किया जाता है ये संसाधन मानवीय, भोतिक व वित्तीय रूप में हो सकते है संसाधनों की कुशलता गुणवत्ता या उपयोग पर निर्भर नही करती है बल्कि उनके सामंजस्य पर निर्भर करती है |
इसका उद्देश्य गुणवत्ता में वृद्धि करना है व संसाधनों को सही समय व सही स्थान पर उपयोग करना है
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