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प्रबंध - व्यापारिक संगठन या सामाजिक संस्था द्वारा अपने ग्राहकों को अपनी वर्तमान या भावी आवशयकताओ के अनुरूप उत्पादों या सेवाओ को तैयार कर अपने ग्राहकों तक पहुचाना ही प्रबंध कहलाता है | व्यवाहरिक रूप से प्रबध का अर्थ अन्य व्यक्ति से कार्य करवाने की कला को प्रबंध कहा जा सकता है | प्रबंध अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है |

प्रबंध क्रिया के अपने उद्देश्य होते है इसे कई उद्दश्यो में विभाजित किया गया है जिनमे प्राथमिक उद्देश्य, सहायक उद्देश्य, व्यक्तिगत उद्देश्य, सामाजित उद्देश्य आदि है |तथा इनका मुख्य उद्देश्य कम लागत पर लाभ कमाना है प्राथमिक उद्देश्यों में उचित लागत पर उत्पादन व सेवा प्रदान करवाना व अधिकतम लाभ प्राप्त करना |

business Administration


सहायक उद्देश्य मे प्राथमिक उद्देश्यों की प्राप्ति करना व तथा अपने संसाधनों की गुणवत्ता में वृद्धि करना सही समय व उचित स्थान पर उपयोग करना इनके उपयोग में सामंजस्य स्तापित करना |अपने उत्पाद की कार्य कुशलता में वृद्धि करना अपनी कार्य क्षमता को बढ़ाना संसाधनों का सामंजस्य से उपयोग करना |

व्यापारिक क्षेत्र में वृद्धि होने के कारण बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा भी बढ़ गयी है प्रतिस्पर्द्धा का सामना करने के लिए गुणवत्तापूर्ण उत्पाद का निर्माण करना आवश्यक है व कीमत भी तुलनात्मक रूप से कम होनी आवश्यक है यह प्रबंध के द्वारा संभव है संसाधनों के विकास में भी प्रबंध बहुत महत्वपूर्ण है क्योकि संस्था का विकास उनके संसाधनों की संख्या पर निर्भर करता  है सिर्फ संसाधनों का विकास महत्वपूर्ण नही है बल्कि इनका कुशलतापूर्वक उपयोग भी आवश्यक है |

 प्रबंध के महत्व - 

1. यह स्वस्थ व उच्च जीवन स्तर देने में सहायक है |
2. यह कोशल युक्त व्यक्तियों को रोजगार दिलाने अर्थात उन्हें काम धंधो में लगाने में सहायक है |
3. यह राष्ट्र को मजबूती प्रदान करता है व राष्ट्र को सुरक्षा देने में सहायक है |
4. यह राष्ट्र की तकनिकी प्रगति में भी सहायक है |

प्रबंध की विशेषताये - 

1. प्रबंधक अन्य लोगो से कार्य करवाते है तथा स्वयं  नियंत्रण करता है |
2. प्रबंध कार्य के कुछ उद्देश्य होते है |यह लक्ष्यहीन नही होता है |
3. यह समाज से विशेष व्यक्तियों द्वारा किया जाने वाला कार्य है |
4. इसके सिद्धांत शिक्षाविदो , चिन्तंको के गहन शोध के आधार पर प्रतिपादित है |

प्रबंध से सम्बंधित परिभाषाये -

1. कम लागत से अधिक उत्पादन कर लाभ कमाना |
2. मेरी पार्कर फोलेट के अनुसार -  स्वयं के कार्यो को दुसरो से करवाने की कला | 
3. व्यापारिक संगठन या सामाजिक संस्था द्वारा ग्राहक की आवशयकताओ के अनुरूप उत्पादन |
4. क्रीटर के अनुसार - यह परिवर्तनशील वातावरण में दुसरो से कार्य करवाने की एक प्रक्रिया है |
5. ग्लुएक के अनुसार - संस्था के उद्देश्य की पूर्ति के लिए मानवीय साधनों का प्रभावकारी उपयोग ही प्रबंध है |

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